'एक लेख एक पत्र'
भगत सिंह
( सारांश)
अमर शहीद भगतसिंह आधुनिक भारतीय इतिहास की एक पवित्र स्मृति हैं। देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर देने वाले हजारों लोगों तथा लाखों स्वाधीनता सेनानियों की प्रेरणा और उत्सर्गपूर्ण कार्यों के वे स्थायी प्रतीक और प्रतिनिधि हैं । राष्ट्रीयता, देशभक्ति, क्रांति और युवाशक्ति के वे प्रेरणापुंज प्रतीक हैं। भगत सिंह विद्यार्थियों को राष्ट्र के विकास का महत्वपूर्ण कारण मानते हैं। उनका विचार है कि छात्रों को अपने दायित्व का निर्वाह पूर्ण निष्ठा से करना चाहिए । सच्ची लगन, निष्ठा. सच्चरित्रता एवं नैतिक गुणों को अपने जीवन का आदर्श बनाना चाहिए तथा उन्हें अपनी पढाई पर पूरा ध्यान देना चाहिए । राष्ट्र को परतन्त्रता की बेड़ियों से मुक्त कराना भी एक प्रकार से उनकी शिक्षा का एक अंग है। भगत सिंह के शब्दों में, "यह हम मानते हैं कि विद्यार्थियों का 1. मुख्य कार्य पढ़ाई करना होता है, उन्हें अपना पूरा ध्यान उस ओर लगा देना चाहिए, लेकिन क्या देश की परिस्थितियों का ज्ञान और उनके सुधार के उपाय सोचने की योग्यता पैदा करना उस शिक्षा में शामिल नहीं है । " अर्थात् उन्होंने अपना स्पष्ट मत प्रकट किया है कि विद्यार्थियों को अपनी पढ़ाई के साथ-साथ राजनीति में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए ।
अभिभावकीय दृष्टिकोण वाले लोग यह राय प्रकट करते हैं कि छात्रों को राजनीति से अलग रहना चाहिए क्योंकि उनका काम पढ़ाई करना और अपनी योग्यता को बढ़ाना है, राजनीति में उलझना नहीं। किन्तु यह विचार पूर्णतया अव्यवहारिक एवं निरर्थक है । छात्र एवं युवाशक्ति राष्ट्र की रीढ़ होते हैं। महान स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह विद्यार्थियों का राजनीति में योगदान अपरिहार्य मानते थे। उनका कहना था कि विद्यार्थियों को अपनी पढ़ाई तन्मयता से करते हुए देश के हित में भी सक्रिय योगदान करना चाहिए। आवश्यकता पड़ने पर तन-मन-धन से देश की सेवा में सक्रिय भाग लें तथा अपने जिस प्रकार भगत सिंह इस पुनीत कार्य में जुट गए हैं । इस प्रकार भगत सिंह का विद्यार्थियों के प्रति स्पष्ट मत है कि उन्हें विद्याध्ययन के साथ ही देश की स्वतंत्रता एवं सम्पन्नता की दिशा में ठोस कार्य करने चाहिए । इस कार्य हेतु उन्हें आत्म-बलिदान के लिए भी तत्पर रहना चाहिए ।
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