एक कहानी जो आधी-अधूरी रह गई, पहुंच जाती अपने मुकाम तक, पर शुरुवात थोड़ी धीमी रह गई
आंखो में उसके एक सवाल हमेशा से पाया था... उसकी खामोशी जैसे पूछती-बता कसूर किसका है।
एक अबूझ पहेली लिए अब भी मन भटकता है।
आज तक वो खामोश निगाहें क्यों पीछा किया करती हैं...
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