शनिवार, 23 मई 2020

रिश्तों के बदलते आयाम

सभ्य,अनुशासन, पराकाष्टा की सीमा में बंधा मानव समय के साथ अपनी गति मिला कर अपनी जीवन यात्रा शुरू करता है। इस यात्रा में कई पड़ाव आते है, कई राही मिलते है जो मन को पसंद आता है, दिल को अच्छा लगता है। वह जिसके साथ होता है, उसको साथ लेकर चलना चाहता है, उसके खुशी में खुश हो लेता है, उसके सुख से सुखी होता है, उसके विश्राम से थकावट भूल जाता है, उसकी चाह में अपनी चाह मिला देता है। उसकी तमन्ना , उसकी पसंद, इच्छा, अभिलाषा, सपना , भविष्य और वर्तमान सब सुख उसका अपना प्रिय हो जाता है।

परंतु 'दो राही' जो अब साथी बन जाते है, के बीच लगाव की स्थिरता वक़्त की साथ हिचकोले खाने लगता है। कहते है ' परस्पर विश्वास का परिणाम अटूट बंधन का आधार होता है '।  समय बड़ा बलवान है। जो जीवन को लक्षित मार्गो पर मनमाने ढंग से चलने नहीं देता। और समय के साथ रिश्तों के बीच खींचातानी शुरू हो जाता है। और आजमा लेता है वक़्त इसे भी। 
अब निर्भर करता है कि रिश्तों की बुनियाद कितनी गहरी और मजबूत है। 

जीवन कभी स्थिर नहीं रहता है परिवर्तन ही संसार का नियम है। रात है तो सवेरा होगा और सवेरा हुआ तो सांझ भी होगा। और ऐसी स्थिति भी आती है जब दिन और रात बराबर जो जाते है परन्तु यह भी सत्य है कि वह स्थिर नहीं रह सकता। जब रात गहरी कालिमा लिए होता है तो हाथ को हाथ नहीं दिखाई देता और तेज रोशनी में आंखे चौंधिया जाया करती है। 

चलते चलते मै तो यही कहूंगा कि, यदि बहुत परेशानी ना हो तो किसी भी रिश्तों को टूटने और जाया ना होने दे। क्या फर्क पड़ता है , पहला कदम स्नेह का आप ही बढा देंगे तो, जिन रिश्तों पर समय के साथ धूल जम गया है, अपने स्नेह से हटा दे। 
#iamsonuamit

i'msonuamit

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